ग़ज़ल दिल किसी का दुखाया
मैंने दिल किसी का दुखाया
मैने दिल किसी का दुखाया।
नादान था बहुत ही नटखट
नादानगी में उनको बहुत सताया।।
जिसने झुलाया था हमें
अपनी बाहों की झुलों मे।
जो बनके घोड़ा बिठाकर पीठ पर अपने
इंसा कोई हँसाया करते थे हमें।।
हर पल हँसाया था जिसने हमें
उसे हमने बहुत रूलाया।
नादानगी में मदहोश किशन
दिल किसी का दुखाया।।
रूठ जाता था कभी तो मा मुझे मनाती
बिठाकर गोद मे हमे खूब हँसती खिलखिलाती
रोता था जब कभी भी सुनाकर लोरियाँ
अपने आँचल तले हमे सुलाती।।
जो हँसाती थी हर पल मुझे
उसको हमने बहुत रूलाया
नादान ही तो था किशन
मैने दिल किसी का दुखाया।।